- कैंट सिविल अस्पताल में हर माह 150 मरीज डायलसिस कराने आते थे, अब संख्या सिर्फ 100
अम्बाला. सिविल अस्पताल कैंट की डायलसिस विंग में कोविड-19 संक्रमण का भय ओपीडी के मरीजों से नहीं निकल पा रहा है जबकि ओपीडी में आने वाले मरीजों और विंग के स्टाफ के 3 बार सैंपल हो चुके हैं और रिपोर्ट भी निगेटिव आ चुकी है। ऐसे में बेहद कम दाम पर डायलसिस विंग में इलाज कराने वाले मरीजों को महंगे दामों पर निजी सेंटर और मेडिकल कॉलेज में डायलसिस करानी पड़ रही है। प्रबंधकों का दावा है कि विंग पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो चुकी है। अस्पताल की डायलसिस विंग में हर माह 150 मरीज डायलसिस कराने पहुंचते थे। यह मरीज सप्ताह में दो या तीन दिन अपनी डायलसिस कराते थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 100 के आसपास रह गई है। कोविड-19 के चलते 25 फीसदी मरीजों की संख्या घटी है।
डायलसिस विंग में हैपेटाइटस सी और हैपेटाइटस बी की एक-एक मशीन हैं। हैपेटाइटस सी की अम्बाला में विंग समेत तीन मशीनें हैं लेकिन हैपेटाइटस बी की इकलौती मशीन सिविल अस्पताल कैंट में ही है। डायलसिस के आम मरीजों के लिए विंग में 11 और मशीनें उपलब्ध हैं जिनके जरिए विंग में इलाज किया जा रहा है। एक बार डायलसिस करने 1013 रुपए लिए का खर्च आता है जिसमें खून बढ़ाने का इंजेक्शन, डलाइजर और ब्लड ट्यूबिंग मरीज को निशुल्क मुहैया कराई जाती है जबकि प्राइवेट अस्पताल में से 2500 से 3 हजार रुपए खर्च होता है। डायलसिस में इस्तेमाल होने तीनों चीजों को भी मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ रहा है।
1013 में डायलसिस, इंजेक्शन, डलाइजर और बीटी का चार्ज नहीं
3 बार सैंपलिंग रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है
डायलसिस विंग की ओपीडी में मरीजों की संख्या कोविड-19 के भय के चलते घटी है, हमने अपने स्टाफ और ओपीडी में रूटीन में आने वाले सभी मरीजों की तीन बार सैंपलिंग और टेस्ट कराए हैं। सभी रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। इसलिए संक्रमण से डरने की बात नहीं है, हिदायतों का पालना करें। विंग दो डाक्टरों की देखरेख में 24 घंटे खुली है।
नाजबीर सिंह ढिल्लो, मैनेजर, डायलसिस विंग, अम्बाला कैंट।